Types Of Linking Process For SEO In Hindi | जाने लिंकिंग प्रक्रिया क्या है और उसके कितने प्रकार है हिंदी में।
1. What Is Linking :
Linking यह एक ऐसी प्रोसेस है, जो एक से अधिक पेजेस को आपस में जोड़ने का काम करती है। लिंकिग का दूसरा नाम Hyperlinkg भी है। यह दो प्रकार के होते हैं :
1. Internal Link
2. External Link
1.1. Internal Linking :
Internal Linking एक ऐसी प्रोसेस है, जो किसी एक Particular डोमेन के अलग-अलग ब्लॉग/वेब पेजेस को आपस में जोड़ने का काम करती हैं।
आप अपने वेबसाइट पर लिखे गए कंटेंट में Manually इंटरनल लिंकिंग कर सकते हैं। यह करने के लिए आपको एक ऐसा सटीक कीवर्ड चुनना है, जिसके ऊपर आपने पहले से ही डिटेल में सब कुछ समझा रखा हो।
जैसे EX: समझे की मैं आपको सीखा रहा हूँ, प्रोफेशनल ब्लॉग कैसे बनाते है और ब्लॉग पोस्ट पब्लिश करने से पहले आपको कुछ Blogging Tips पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
तो अगर मैंने इन कीवर्ड में से किसी एक कीवर्ड के ऊपर पहले से Detail में आर्टिकल्स लिखा हुआ हूँ, तो मैं वह पर इंटरनल लिंकिंग करूँगा जो कीं आप देख सकते हैं, की मैंने ऊपर यह कर दिया हूँ।
Advantage :
यह करने से आपके ब्लॉग पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। अगर रीडर को आपकी यह पोस्ट अच्छी लगती है, वह आपके द्वारा लिखे गए और पोस्ट पढ़ना चाहेंगा। इससे आपके Page View तो बढेंगे हि साथ हि यूजर का Experience और Engagement Time भी आपके ब्लॉग के साथ बढेंगा।
1.2. External Linking :
External Linking एक ऐसी प्रोसेस होती हैं, जहाँ पे दो अलग-अलग वेबसाइट या वेब पेजेस को खास लिंक द्वारा आपस में जोड़ा जाता हैं।
ख़ास तौर पर इसका उपयोग लोग तभी करते है, जब उन्हें अपनी नई साइट पर ट्रैफिक भेजना होता है या उन्हें किसी पर्टिकुलर कीवर्ड/टॉपिक के ऊपर रीडर्स को डिटेल्स में बताने की चाह होती है।
मैं आपको यही सलाह दूंगा, की जितना हो सकें उतना इसका कम ही उपयोग कीजिये। और आप जो भी वेब्सीटेस के साथ External Linking या उन्हें प्रमोट करना चाहते हैं तो सबसे पहले उनका DA, PA जो की HIGH और SS जो की 1% ही होना चाहिए, यह जरूर चेक कीजिये।
2. Inbound Link :
Inbound Link एक ऐसी लिंकिंग प्रोसेस है, जहाँ दूसरे वेबसाइट से हमारे पास ट्राफिक आता आता है। इसे हम हमारे साइट के लिए Back link बनाना भी कह सकते है। ज्यादातर यह बैकलिंक हमे गेस्ट पोस्ट ब्लॉग्गिंग के द्वारा मिलती है।
इनबाउंड लिंकिंग करने के लिए आपको किसी हाई अथॉरिटी साइट जैसे की Medium, Quora जैसे बड़ी वेबसाइटों में जाकर पोस्ट पब्लिश करना होता है। और यह करते समय आपको उस पोस्ट की यहाँ इंटरनल लिंकिंग करनी पड़ती है, जहाँ आपको ट्रैफिक भेजना है।
Advantage :
Inbound Linking करने से आपके पास दूसरी साइटों में से भर-भर के ट्रैफिक/लोग आते है। अगर वह रीडर्स आपकी साइट में ज्यादा समय बितातें हैं, तो इससे साइट का बाऊंस रेट कम होंगा। आपके वेबसाइट को लोग जानने लगेंगे। और इसकी रैंकिंग में बदलाव आते जाएंगा।
3. Outbound Link :
दोस्तों, Outbound और External Linking Process एक हि हैं। दोनों में कुछ फर्क नहीं होता है। दोनों का काम अपनी साइट में लिखें गए कंटेंट में किसी Keyword को दूसरी साइट से लिंकिंग करने का होता हैं।
4. Do Follow Backlink :
अगर आप किसी भी लीकिंग का इस्तेमाल अपने आर्टिकल में कर रहें है, फिर चाहे वह Internal, External या कोई भी हो और आपने खुद ही वह लिंक्स को अपने कंटेंट में लगा रखा है, तो वह Do Follow बैकलिंक होता हैं।
अगर आप दूसरे वेबसाइटों से अपने साइट के लिए यह Do Follow बैकलिंकस बनाते हैं, तो यह हमेशा ऑफ-पेज SEO में और आपके कंटेंट को गूगल में Top Search Engine Result Pages (SERPs) में रैंक होने में आपकी सहायता करतें है।
दोस्तों, एक बात हमेशा याद रखना की आपके द्वारा बनाऐं गए Do Follow बैकलिंक्स को क्रॉलर का स्पाइडर बोट हमेशा फॉलो करता है। वह लगाए गए हर लिंक पर विजिट करता है। इसीलिए अपने साइट की वैल्यू उनके आगे हमेशा बेहतर रखने के लिए कभी गलत लिंक्स का उपयोग ना करें।
5. No Follow Backlink :
आपके द्वारा बनायें गए लिंक्स को आप Do या No Follow रखना चाहते हैं या नहीं, यह आपके ऊपर निर्भर होता है। आप किसी भी समय Do को No Follow में बदल सकते हैं।
क्रॉलर का स्पाइडर बोट नो फॉलो को कभी ब्राउज नहीं करता है। इसका आप एडवांटेज ले सकतें है। पर कभी No Follow Backling का आप ज्यादा इस्तेमाल मत कीजिये। इसका लिमिट में ही उपयोग कीजिए।
➤ Link को No Follow मैं कैसे Convert करें?
- सबसे पहले आपको अपने ब्लॉग में जाना हैं।
- जिस Keyword पर के लिंक को आप No Follow में बदलना चाहतें है, उसे सेलेक्ट कीजिए।
- उसके बाद लिंक वाले ऑप्शन में जाएं।
- फिर No Follow को सेलेक्ट करके Apply कीजिए।
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